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दूर्वा अष्टमी की व्रत विधि
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और उसके पश्चात व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल पर देवताओं को फल-फूल, चावल, धूपबत्ती, दही और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। इस दिन दूर्वा अष्टमी के पालनकर्ता भगवान गणेश और शिव की विधिवत पूजा करके भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें। मान्यता है कि इस दिन महिलाओं द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ व्रत-पूजा और भोग अर्पित करने से घर में सुख समृद्धि व खुशियां आती हैं। दूर्वा अष्टमी के दिन भगवान गणेश को तिल और मीठे आटे से बनी रोटी का भोग लगाया जाता है। पूजन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र का दान करें।
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