Wednesday, 4 April 2018

क्यों हर मंत्र के आखिर में बोला जाता है स्वाहा ?


वन या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा कहकर ही हवन सामग्री भगवान को

अर्पित करते है| स्वाहा का अर्थ है सही रीती से पहुचाना | दुसरे शब्दों में कहे तो जरुरी भौगिक 

पदार्थ को उसके प्रिय तक पहुचाना | दरअसल कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना जा सकता है 
जब तक की हवन का ग्रहण देवता न कर ले| लेकिन देवता ऐसा ग्रहण तभी कर सकते है , जबकि 

अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पण किया जाए| स्वाहा की उत्पत्ति से रोचक कहानी भी जुडी 

हुई है | इसके अनुसार , स्वाहा प्रकुति की ही एक कला थी , जिसका विवाह अग्नि के साथ 



देवताओं के आग्रह पर संपन्न हुआ था | भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ए वरदान दिया था की केवल उसी के माध्यम से देवता हवन में अर्पित की जाने वाली सामग्री को ग्रहण कर पाएंगे |

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