संयोग : पौष महीना 2 बार होने से इस साल 12 की बजाय 13 अमावस्याएं
अमावस्या और पितरों का संबंध
पंचाग के एक साल में 12 अमावस्या होती है। लेकिन इस साल जनवरी और दिसंबर में फिर पौष महीना होने के कारण 13 अमावस्या होगी। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व कहा गया है। इस दिन तीर्थ स्नान के बाद दान और फिर पितरों की विशेष पूजा करने की परंपरा है। जब तिथियों की घट-बढ़ होती है। तब ये पर्व कभी-कभी दो दिन तक भी रहता है। इसलिए जब दोपहर में अमावस्या हो उस दिन पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण किया जाता है। यही जब सूर्योदय के समय हो तो स्नान और दान किया जाता है। इस साल सोमवती अमावस्या का संयोग एक बार और शनैश्चरी अमावस्या का योग 2 बार बन रहा है।
सूर्य की हजारों किरणों में जो सबसे है उसका नाम है। उस अनम की किरण के तेज से ही सूर्य धरती को रोशन करता है। जब उस अमाकरण में स करना है चंद्रमा के होने से उस किरण के जरिये चंद्रमा के उपरी हिस्से से पितर धरती पर आते हैं। इसीलिए आपको की अवस्था तिथि का महत्व है।
इस विशेष संयोग मे तीर्थस्नान और दान का अक्षय फल मिलता है l यह तब योग तब बनते है जब सोमवार शनिवार को अमावस्या होती है l
सोमवार को अमावस्या शुभ होती है l सौम्य वार को पडने वाली अमावस्या शुभ होती है l क्रुर वार को पडनेवाली के साथ अशुभ फल देने वाली होती है l सोमवार मंगलवार शुक्रवार और गुरुवार को अमावस्या होती है उसका फल शुभ होता है वही बुधवार शनिवार और रविवार को अमावस्या अशुभ फल देती है l
अमावस्या और पितरों का संबंध
सूर्य की हजार किरणों में जो सबसे खास है और उसका नाम अमा है l अमा नाम की किरण की तेज से ही सूर्य धरती को रोशन करता है l जब उस अमा किरण में चंद्रमा वास करता है l यानी चंद्रमा के होने से अमावस्या हुई तब उस किरण के जरिए चंद्रमा के ऊपरी हिस्से से पीतर धरती पर आते हैं l इसलिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि का महत्व है l
क्या करें और क्या नहीं
१) अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर तीर्थस्नान करने की परंपरा है। ये न हो पाए तो घर में ही गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं l इसके बाद संकल्प ले और भगवान की पूज करके जरूरतमंद लोगों खाने की चीजें और कपड़ों का दान दें।
२) अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव होते हैं और यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इसलिए इस पर्व को पूर्वजों का दिन भी कहा जाता है। इस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध-तर्पण भी किया जाना चाहिए। अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने से यह सीधा पितरों तक पहुंचता है। अगर ऐसा किया जाए तो इससे पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।
3) इस पर्व पर किसी जरूरतमंद या बेसहारा लोगों को खाना खिलाएं और दान दें। ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन मांस-मदिव और नशिली चीजों का सेवन बिल्कुल न करें। ऐसा करने से पितृदोष लगता है l
शुभम् भवतु
Read your future with by Dr.Suhas Rokde, Medical Astrologer,
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