Sunday, 28 September 2025

महाकाली स्तोत्र

महाकाली स्तोत्र, जिसे श्री काली कर्पूर स्तोत्र भी कहते हैं, एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसके पाठ से भक्तों को सभी प्रकार के भय, नकारात्मकता और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, और माता काली उन्हें साहस, शक्ति और सुरक्षा प्रदान करती हैं। 
विनियोग
ॐ अस्य श्री दक्षिणकालिका स्तोत्र मंत्रस्य श्रीभैरव ऋषिः, उष्णिक्छन्दः, श्रीदक्षिणकालिका देवता, ह्लीं बीजम्, हूं शक्तिः, नमः कीलकम्, सर्वसिद्धिप्राप्तये पाठे विनियोगः। 
ध्यानम्
शवारूढां महाभीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम्।
चतुर्भुजां खड्गमुण्डवराभयकरोद्यताम्॥
मुण्डमालाधरां देवीं ललज्जिह्वां दिगम्बराम्।
एवं ध्यायेत्कालीं महाकालस्य संमुखाम्॥ 
मूल स्तोत्र
नारायण उवाच-
त्वं स्वाहा त्वं स्वधा त्वं हि वषट्कारः स्वरात्मिका।
सुधा त्वमक्षरे नित्ये त्रिधा मात्रात्मिका स्थिता॥ 
अर्धमात्रा स्थिता नित्या यानुच्चार्या विशेषतः।
त्वमेव संध्या गायत्री सावित्री च सरस्वती॥ 
त्वयैतद्धार्यते विश्वं त्वयैतत्सृज्यते जगत्।
त्वयैतत्पाल्यते देवि त्वमत्स्यन्ते च सर्वदा॥ 
विसृष्टौ सृष्टिरूपा त्वं स्थितिरूपा च पालने।
तथा संहृतिरूपाऽन्ते जगतोऽस्य जगन्मये॥ 
महाविद्या महामाया महामेधा महास्मृतिः।
महामोहा च भवती महादेवी महेश्वरी॥ 
प्रकृतिस्त्वं च सर्वस्य गुणत्रयविभाविनी।
कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च दारुणा॥ 
त्वं श्रीस्त्वमीश्वरी त्वं ह्रीस्त्वं बुद्धिस्त्वं बोधलक्षणा।
लज्जा पुष्टिस्तथा तुष्टिस्त्वं शांतिः क्षान्तिरेव च॥
खड्गिनी शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा।
शंखिनी चापिनी बाणा भुशुण्डी परिघायुधा॥ 
सौम्या सौम्यतराशेषसौम्येभ्यस्त्वतिसुन्दरी।
परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी॥
यच्च किञ्चित्क्वचिद्वस्तु सदसद्वाऽखिलात्मिके।
तस्य सर्वस्य या शक्तिः सा त्वं किं स्तूयसे मया॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 
लाभ
इस स्तोत्र का पाठ करने से कई लाभ होते हैं: 
  • यह भय और नकारात्मकता को दूर करता है।
  • यह साहस, शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह आध्यात्मिक ज्ञान, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक है।
  • यह जीवन में सफलता और समृद्धि लाता है। 
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Sunday, 21 September 2025

नवरात्रि की दुर्गा स्तोत्र


नवरात्रि की दुर्गा स्तोत्र

शैलपुत्री माहिमाः

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् । वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥

ब्रह्मचारिणी माहिमाः

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू । स्वहस्ते विभ्रते वाणी भ्रमराम्भोरुहाक्षताम् ॥

चंद्रघंटा माहिमाः

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां मनोहराम् । कोटिकिरण भूषितां कामधुक्ताम् चंद्रघंटाम् ॥

कूष्मांडा माहिमाः

कूष्माण्डा शुभदास्तु श्वेते वृषे समारुढा । श्वेताम्बर धरा शुद्धा नन्दगोपसुता प्रसीदतु ॥

स्कंदमाता माहिमाः

पलाशपुष्प संकाशां देवीं स्कन्दमातरम् । शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥

कात्यायनी माहिमाः

चामुण्डा शुभदास्तु चण्डमुण्ड विनाशिनी । कात्यायनी महामाये महाकाली महाशक्ति ॥

कालरात्रि माहिमाः

कालरात्रि शुभदास्तु कालिका परमेश्वरी । कालरात्रि महामाये महाकाली महाशक्ति ॥

महागौरी माहिमाः

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बर धरा शुचिः । महागौरी महादेवी महालक्ष्मी महाशक्ति ॥

सिद्धिदात्री माहिमाः

क्लीं सिद्धिदात्री देवी प्रसीदतु मयि भक्तः । सिद्धिदात्री महादेवी महालक्ष्मी महाशक्ति ॥

ll श्री दुर्गापन्मस्तु ll


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