Monday, 24 December 2018
Saturday, 22 December 2018
Sunday, 2 December 2018
Friday, 6 July 2018
Tuesday, 3 July 2018
Monday, 18 June 2018
Sunday, 17 June 2018
Saturday, 16 June 2018
Friday, 15 June 2018
Wednesday, 4 April 2018
क्यों हर मंत्र के आखिर में बोला जाता है स्वाहा ?
हवन या किसी भी
धार्मिक अनुष्ठान मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा कहकर ही हवन सामग्री भगवान को
अर्पित
करते है| स्वाहा का अर्थ है सही रीती से पहुचाना | दुसरे शब्दों में कहे तो जरुरी
भौगिक
पदार्थ को उसके प्रिय तक पहुचाना | दरअसल कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना
जा सकता है
जब तक की हवन का ग्रहण देवता न कर ले| लेकिन देवता ऐसा ग्रहण तभी कर
सकते है , जबकि
अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पण किया जाए| स्वाहा की
उत्पत्ति से रोचक कहानी भी जुडी
हुई है | इसके अनुसार , स्वाहा प्रकुति की ही एक
कला थी , जिसका विवाह अग्नि के साथ
देवताओं के आग्रह पर संपन्न हुआ था | भगवान
श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ए वरदान दिया था की केवल उसी के माध्यम से देवता हवन
में अर्पित की जाने वाली सामग्री को ग्रहण कर पाएंगे |
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Wednesday, 28 March 2018
Astrotech News digital magazine
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सरस्वती स्तोत्र
अगस्त्य मुनि कृत सरस्वती स्तोत्र एवम अष्टोत्तरशतनाम
★★सरस्वती स्तोत्र★★
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युत शङ्करप्रभृतिभिर्देवैस्सदा वंदिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाड्यापहा ॥ 1 ॥
दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिः स्फटिकमणिनिभै रक्षमालान्दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण ।
भासा कुन्देन्दुशङ्खस्फटिकमणिनिभा भासमानाज़्समाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना ॥ 2 ॥
सुरासुरैस्सेवितपादपङ्कजा करे विराजत्कमनीयपुस्तका ।
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥ 3 ॥
सरस्वती सरसिजकेसरप्रभा तपस्विनी सितकमलासनप्रिया ।
घनस्तनी कमलविलोललोचना मनस्विनी भवतु वरप्रसादिनी ॥ 4 ॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥ 5 ॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः ।
शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः ॥ 6 ॥
नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः ।
विद्याधरे विशालाक्षि शुद्धज्ञाने नमो नमः ॥ 7 ॥
शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः ।
शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्ध्यै नमो नमः ॥ 8 ॥
मुक्तालङ्कृत सर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः ।
मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः ॥ 9 ॥
मनोन्मनि महाभोगे वागीश्वरि नमो नमः ।
वाग्म्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः ॥ 10 ॥
वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः ।
गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः ॥ 11 ॥
सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः ।
सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञे ते नमो नमः ॥ 12 ॥
योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः ।
दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः ॥ 13 ॥
अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ।
चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ॥ 14 ॥
अणुरूपे महारूपे विश्वरूपे नमो नमः ।
अणिमाद्यष्टसिद्धायै आनन्दायै नमो नमः ॥ 15 ॥
ज्ञान विज्ञान रूपायै ज्ञानमूर्ते नमो नमः ।
नानाशास्त्र स्वरूपायै नानारूपे नमो नमः ॥16 ॥
पद्मजा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नमः ।
परमेष्ठ्यै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनी ॥ 17 ॥
महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।
ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नमः ॥ 18 ॥
कमलाकरपुष्पा च कामरूपे नमो नमः ।
कपालिकर्मदीप्तायै कर्मदायै नमो नमः ॥ 19 ॥
सायं प्रातः पठेन्नित्यं षण्मासात्सिद्धिरुच्यते ।
चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां शृण्वतामपि ॥ 20 ॥
इत्थं सरस्वती स्तोत्रमगस्त्यमुनि वाचकम् ।
सर्वसिद्धिकरं नॄणां सर्वपापप्रणाशनम् ॥ 21 ॥
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★★सरस्वती स्तोत्र★★
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युत शङ्करप्रभृतिभिर्देवैस्सदा वंदिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाड्यापहा ॥ 1 ॥
दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिः स्फटिकमणिनिभै रक्षमालान्दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण ।
भासा कुन्देन्दुशङ्खस्फटिकमणिनिभा भासमानाज़्समाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना ॥ 2 ॥
सुरासुरैस्सेवितपादपङ्कजा करे विराजत्कमनीयपुस्तका ।
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥ 3 ॥
सरस्वती सरसिजकेसरप्रभा तपस्विनी सितकमलासनप्रिया ।
घनस्तनी कमलविलोललोचना मनस्विनी भवतु वरप्रसादिनी ॥ 4 ॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥ 5 ॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः ।
शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः ॥ 6 ॥
नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः ।
विद्याधरे विशालाक्षि शुद्धज्ञाने नमो नमः ॥ 7 ॥
शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः ।
शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्ध्यै नमो नमः ॥ 8 ॥
मुक्तालङ्कृत सर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः ।
मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः ॥ 9 ॥
मनोन्मनि महाभोगे वागीश्वरि नमो नमः ।
वाग्म्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः ॥ 10 ॥
वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः ।
गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः ॥ 11 ॥
सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः ।
सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञे ते नमो नमः ॥ 12 ॥
योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः ।
दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः ॥ 13 ॥
अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ।
चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ॥ 14 ॥
अणुरूपे महारूपे विश्वरूपे नमो नमः ।
अणिमाद्यष्टसिद्धायै आनन्दायै नमो नमः ॥ 15 ॥
ज्ञान विज्ञान रूपायै ज्ञानमूर्ते नमो नमः ।
नानाशास्त्र स्वरूपायै नानारूपे नमो नमः ॥16 ॥
पद्मजा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नमः ।
परमेष्ठ्यै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनी ॥ 17 ॥
महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।
ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नमः ॥ 18 ॥
कमलाकरपुष्पा च कामरूपे नमो नमः ।
कपालिकर्मदीप्तायै कर्मदायै नमो नमः ॥ 19 ॥
सायं प्रातः पठेन्नित्यं षण्मासात्सिद्धिरुच्यते ।
चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां शृण्वतामपि ॥ 20 ॥
इत्थं सरस्वती स्तोत्रमगस्त्यमुनि वाचकम् ।
सर्वसिद्धिकरं नॄणां सर्वपापप्रणाशनम् ॥ 21 ॥
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Tuesday, 27 March 2018
श्री सरस्वत्यष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
★★★श्री सरस्वत्यष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् ★★★
सरस्वती महाभद्रा महामाया वरप्रदा ।
श्रीप्रदा पद्मनिलया पद्माक्षी पद्मवक्त्रगा ॥ १ ॥
शिवानुजा पुस्तकधृत् ज्ञानमुद्रा रमा परा ।
कामरूपा महाविद्या महापातकनाशिनी ॥ २ ॥
महाश्रया मालिनी च महाभोगा महाभुजा ।
महाभागा महोत्साहा दिव्याङ्गा सुरवंदिता ॥ ३ ॥
महाकाली महापाशा महाकारा महाङ्कुशा ।
सीता च विमला विश्वा विद्युन्माला च वैष्णवी ॥ ४ ॥
चंद्रिका चंद्रवदना चंद्रलेखाविभूषिता ।
सावित्री सुरसा देवी दिव्यालंकारभूषिता ॥ ५ ॥
वाग्देवी वसुधा तीव्रा महाभद्रा महाबला ।
भोगदा भारती भामा गोविंदा गोमती शिवा ॥ ६ ॥
जटिला विंध्यवासा च विंध्याचलविराजिता ।
चंडिका वैष्णवी ब्राह्मी ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॥ ७ ॥
सौदामिनी सुधामूर्तिस्सुभद्रा सुरपूजिता ।
सुवासिनी सुनासा च विनिद्रा पद्मलोचना ॥ ८ ॥
विद्यारूपा विशालाक्षी ब्रह्मजाया महाफला ।
त्रयीमूर्ती त्रिकालज्ञा त्रिगुणा शास्त्ररूपिणी ॥ ९ ॥
शुंभासुरप्रमथिनी शुभदा च सर्वात्मिका ।
रक्तबीजनिहंत्री च चामुण्डा चांबिका तथा ॥ १० ॥
मुण्डकाय प्रहरणा धूम्रलोचनमर्दना ।
सर्वदेवस्तुता सौम्या सुरासुरनमस्कृता ॥ ११ ॥
कालरात्री कलाधारा रूप सौभाग्यदायिनी ।
वाग्देवी च वरारोहा वाराही वारिजासना ॥ १२ ॥
चित्रांबरा चित्रगंधा चित्रमाल्यविभूषिता ।
कांता कामप्रदा वंद्या विद्याधरा सूपूजिता ॥ १३ ॥
श्वेतासना नीलभुजा चतुर्वर्गफलप्रदा ॥
चतुराननसाम्राज्या रक्तमध्या निरंजना ॥ १४ ॥
हंसासना नीलजङ्घा ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॥
एवं सरस्वती देव्या नाम्नामष्टोत्तरशतम् ॥ १५ ॥
इति श्री सरस्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
सरस्वती महाभद्रा महामाया वरप्रदा ।
श्रीप्रदा पद्मनिलया पद्माक्षी पद्मवक्त्रगा ॥ १ ॥
शिवानुजा पुस्तकधृत् ज्ञानमुद्रा रमा परा ।
कामरूपा महाविद्या महापातकनाशिनी ॥ २ ॥
महाश्रया मालिनी च महाभोगा महाभुजा ।
महाभागा महोत्साहा दिव्याङ्गा सुरवंदिता ॥ ३ ॥
महाकाली महापाशा महाकारा महाङ्कुशा ।
सीता च विमला विश्वा विद्युन्माला च वैष्णवी ॥ ४ ॥
चंद्रिका चंद्रवदना चंद्रलेखाविभूषिता ।
सावित्री सुरसा देवी दिव्यालंकारभूषिता ॥ ५ ॥
वाग्देवी वसुधा तीव्रा महाभद्रा महाबला ।
भोगदा भारती भामा गोविंदा गोमती शिवा ॥ ६ ॥
जटिला विंध्यवासा च विंध्याचलविराजिता ।
चंडिका वैष्णवी ब्राह्मी ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॥ ७ ॥
सौदामिनी सुधामूर्तिस्सुभद्रा सुरपूजिता ।
सुवासिनी सुनासा च विनिद्रा पद्मलोचना ॥ ८ ॥
विद्यारूपा विशालाक्षी ब्रह्मजाया महाफला ।
त्रयीमूर्ती त्रिकालज्ञा त्रिगुणा शास्त्ररूपिणी ॥ ९ ॥
शुंभासुरप्रमथिनी शुभदा च सर्वात्मिका ।
रक्तबीजनिहंत्री च चामुण्डा चांबिका तथा ॥ १० ॥
मुण्डकाय प्रहरणा धूम्रलोचनमर्दना ।
सर्वदेवस्तुता सौम्या सुरासुरनमस्कृता ॥ ११ ॥
कालरात्री कलाधारा रूप सौभाग्यदायिनी ।
वाग्देवी च वरारोहा वाराही वारिजासना ॥ १२ ॥
चित्रांबरा चित्रगंधा चित्रमाल्यविभूषिता ।
कांता कामप्रदा वंद्या विद्याधरा सूपूजिता ॥ १३ ॥
श्वेतासना नीलभुजा चतुर्वर्गफलप्रदा ॥
चतुराननसाम्राज्या रक्तमध्या निरंजना ॥ १४ ॥
हंसासना नीलजङ्घा ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॥
एवं सरस्वती देव्या नाम्नामष्टोत्तरशतम् ॥ १५ ॥
इति श्री सरस्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
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Monday, 19 February 2018
होलिका की लपट देती संकेत-ज्योतिष्याचार्य डॉ.सुहास
होलिका की लपट देती संकेत
अपने भविष्य को
पूरी शक्ति से अपने भीतर खींचे...
अपने वर्तमान को
अपनी क्षमता अनुसार रोक कर रखें...
अपने भूतकाल को
पूरी ताकत से बाहर निकाल दें.....
यही है सर्वश्रेष्ठ जीवन योग...
पूरी शक्ति से अपने भीतर खींचे...
अपने वर्तमान को
अपनी क्षमता अनुसार रोक कर रखें...
अपने भूतकाल को
पूरी ताकत से बाहर निकाल दें.....
यही है सर्वश्रेष्ठ जीवन योग...
-सदगुरुदेव निखिल वाणी
मान्यता है कि होलिका दहन के समय जलती अग्नि की उठती लौ से अनेक प्रकार के संकेत मिलते हैं। पूरब की ओर लौ उठना कल्याणकारी होता है। दक्षिण की ओर पशु पीड़ा, पश्चिम की ओर सामान्य और उत्तर की ओर लौ उठने से बारिश होने की संभावना रहती है।
भद्रा काल में होती साधना
तांत्रिक मंत्र सिद्धि के लिए होलिका दहन से पूर्व अर्थात भद्रा काल को सर्वाधिक उपयुक्त मानते हैं। यद्यपि पूर्णिमा को प्रात: से मध्य रात्रि तक तात्रिक तंत्र-मंत्र सिद्ध करने का अनुष्ठान करते हैं। किंतु अंतिम तांत्रिक कृत्य रात्रि 12 बजे ही किया जाता है। मंत्र सिद्ध कर तांत्रिक अपना और जातकों का कल्याण करते हैं। मां तारा के साधक ओम नारायण उपाध्याय का कहना है कि फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि तंत्र साधना के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है। तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने के लिए पूरे दिन पूजा, पाठ, हवन आदि करते हैं। पीड़ितों की माग पर टोटके भी किए जाते हैं।
होली पर आम लोग जब मस्ती व उमंग में डूबे होते हैं, तब तांत्रिक फाल्गुन पूर्णिमा को मंत्र सिद्ध करने के अनुष्ठान में जुटे रहते हैं। दरअसल, कार्तिक माह की अमावस्या को होने वाली दीपावली के बाद होली ही तांत्रिकों के लिए दूसरी महानिशा होती है, जब वे मंत्र सिद्ध कर सकते हैं। इसीलिए होलिका दहन के बाद लोग जब होली के हुड़दंग में डूबने की तैयारी कर रहे होते हैं, तब तांत्रिक किसी गुमनाम सुनसान जगह पर तंत्र-मंत्र सिद्ध करने का अनुष्ठान करते हैं। भले ही इसे अंधविश्वास माना जाए, लेकिन दीपावली की तरह होली पर टोना-टोटका जगाने की परंपरा आज भी जिंदा है।
इस तरह बचें टोटकों से
- टोना-टोटका के लिए सफेद खाद्य पदार्थो का उपयोग किया जाता है, इसलिए होलिका दहन वाले दिन सफेद खाद्य पदार्थो कासेवन करने से बचें।
- उतारे हुए टोटके का प्रभाव खुले सिर पर जल्दी होता है, अत: सिर को टोपी आदि से ढंके रखें।
- टोने-टोटके में व्यक्ति के कपड़ों का प्रयोग भी किया जाता है, इसलिए अपने कपड़ों का ध्यान रखें।
- होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में काले तिल बाधकर रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा, तो वह भी खत्म हो जाएगा।
अधिक जानकारी हेतु सपर्क करे....Ref : D.Jagran,
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