मेरा भारत महान
दो लिंग : नर और नारी ।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी
(पुराणोक्त)।
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु,
शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा
लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश,
पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण,
तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव,
वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य,
अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी,
बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव,
मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत,
बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य,
वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला,
सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न,
सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति,
क्रियाशक्ति।
चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ
पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
चार मुनि : सनत, सनातन,
सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय,
वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम,
दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद,
यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी,
बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग,
द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम,
दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा,
मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता,
शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर,
नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज,
स्वेदज, उद्भिज।
चार वाणी : ओम्कार्, अकार्,
उकार, मकार्।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ,
वानप्रस्थ, सन्यास।
चार भोज्य : खाद्य, पेय,
लेह्य, चोष्य।
चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ,
काम, मोक्ष।
चार वाद्य : तत्, सुषिर,
अवनद्व, घन।
पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश,
अग्नि, जल, वायु।
पाँच देवता : गणेश, दुर्गा,
विष्णु, शंकर, सुर्य।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक,
कान, जीभ, त्वचा।
पाँच कर्म : रस, रुप,
गंध, स्पर्श, ध्वनि।
पाँच उंगलियां :
अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प,
धुप, दीप, नैवेद्य।
पाँच अमृत : दूध, दही,
घी, शहद, शक्कर।
पाँच प्रेत : भूत, पिशाच,
वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा,
खट्टा, खारा, कड़वा।
पाँच वायु : प्राण, अपान,
व्यान, उदान, समान।
पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक,
कान, जीभ, त्वचा,
मन।
पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट
(Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट
(वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
पाँच पत्ते : आम, पीपल,
बरगद, गुलर, अशोक।
पाँच कन्या : अहिल्या, तारा,
मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।
छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म,
वर्षा, शरद, बसंत,
शिशिर।
छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प,
व्याकरण, निरुक्त, छन्द,
ज्योतिष।
छ: कर्म : देवपूजा, गुरु
उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
छ: दोष : काम, क्रोध,
मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।
सात छंद : गायत्री, उष्णिक,
अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति,
त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे,
ग, म, प, ध, नि।
सात सुर : षडज्, ॠषभ्,
गांधार, मध्यम, पंचम,
धैवत, निषाद।
सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा,
विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर,
स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
सात वार : रवि, सोम,
मंगल, बुध, गुरु,
शुक्र, शनि।
सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल,
हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी
की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप,
शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र,
कण्व, भारद्वाज, अत्रि,
वामदेव, शौनक।
सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप,
अत्रि, जमदग्नि, गौतम,
विश्वामित्र, भारद्वाज।
सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त,
मांस, मेद, अस्थि,
मज्जा, वीर्य।
सात रंग : बैंगनी, जामुनी,
नीला, हरा, पीला,
नारंगी, लाल।
सात पाताल : अतल, वितल,
सुतल, तलातल, महातल,
रसातल, पाताल।
सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार,
काशी, अयोध्या, उज्जैन,
द्वारका, काञ्ची।
सात धान्य : उड़द, गेहूँ,
चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।
आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी,
माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री,
वाराही, नारसिंही, चामुंडा।
आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी,
धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी,
विद्यालक्ष्मी।
आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव,
सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा,
गरिमा, लघिमा, प्राप्ति,
प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
आठ धातु : सोना, चांदी,
ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन,
लोहा, पारा।
नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी,
चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता,
कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी,
सिद्धिदात्री।
नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा,
मंगल, बुध, गुरु,
शुक्र, शनि, राहु,
केतु।
नवरत्न : हीरा, पन्ना,
मोती, माणिक, मूंगा,
पुखराज, नीलम, गोमेद,
लहसुनिया।
नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि,
नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि,
मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि,
खर्व/मिश्र निधि।
दस महाविद्या : काली, तारा,
षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी,
छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी,
मातंगी, कमला।
दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम,
उत्तर, दक्षिण, आग्नेय,
नैॠत्य, वायव्य, ईशान,
ऊपर, नीचे।
दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि,
यमराज, नैॠिति, वरुण,
वायुदेव, कुबेर, ईशान,
ब्रह्मा, अनंत।
दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप,
वाराह, नृसिंह, वामन,
परशुराम, राम, कृष्ण,
बुद्ध, कल्कि।
दस सति : सावित्री, अनुसुइया,
मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी,
गांधारी, सीता, दमयन्ती,
सुलक्षणा, अरुंधती।
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