Sunday, 31 October 2021

श्री गर्भ रक्षा अम्बिका स्तोत्रं

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श्री गर्भ रक्षा अम्बिका स्तोत्रं
श्री माधवी काननस्ये गर्भ

रक्षांबिके पाही भक्ताम् स्थुवन्तम्। (हर श्लोक के बाद) वापी तटे वाम भागे, वाम देवस्य देवी स्थिता त्वां,

मानया वारेन्या वादानया, पाही, गर्भस्या जन्थुन तथा भक्ता लोकान. १

श्री गर्भ रक्षा पुरे या दिव्या, सौन्दर्या युक्ता, सुमंगलया गात्री, धात्री, जनीत्री जनानाम, दिव्या, रुपाम ध्यार दर्दाम मनोगनाम भजे तं.

आषाढ मासे सुपुन्ये, शुक्र, वारे सुगंन्धेना गंन्थेना लिप्ता, दिव्याम्बरा कल्प वेशा वाजा, पेयाधी याग्यस्या भक्तस्या सुद्रष्टा ३

कल्याण धात्रीं नमस्ये, वेदी, कन्ग च स्त्रीया गर्भ रक्षा करीं त्वां, बालै सदा सेवीथा अन्ग्रि, गर्भ रक्षार्थ, माराधुपे थैयुपेथाम, ४

ब्रम्हओत्सव विप्र विद्ययाम वाद्य घोषेण तुष्टाम रथेना सन्निविष्टाम सर्व अर्थ धात्रीं भजे अहम, देव व्रुन्दैरा पीडायाम जगन मातरम त्वां ५

येतथ कृतम स्तोत्र रत्नम, दीक्षीथ अनन्त रामेन देव्या तुष्टाच्यै,

नित्यम पाठयस्तु भक्तया पुत्रा पौत्रादि भाग्यं भवे तस्या नित्यं ॥ ६

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